श्री पंचमुखी हनुमान यंत्र
परिचय
श्री पंचमुखी हनुमान यंत्र भगवान हनुमान के पंचमुखी (पाँच मुखों वाले) स्वरूप को समर्पित एक शक्तिशाली वैदिक यंत्र है।
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, हनुमानजी ने अहिरावण को मारने के लिए पंचमुखी स्वरूप धारण किया था, जिसमें उनके पांच मुख थे – वराह (उत्तर दिशा), नरसिंह (दक्षिण), गरुड़ (पश्चिम), स्वयं हनुमान (पूर्व) और हयग्रीव (आकाश) ।
इस कथा के आधार पर पंचमुखी हनुमान का पूजन संकटमोचन एवं शत्रु विनाश के प्रतीक रूप में किया जाता है। ऐतिहासिक दृष्टि से दक्षिण एशिया में कई प्राचीन पंचमुखी हनुमान मंदिर हैं;
उदाहरण स्वरूप कराची (पाकिस्तान) का प्राचीन पंचमुखी हनुमान मंदिर लगभग 1500 वर्ष पुराना है । यंत्र की परंपरा वैदिक यंत्र साधना से जुड़ी हुई है और पंचमुखी हनुमान की कृपा के लिए इसे स्थापित किया जाता है।
धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
पंचमुखी हनुमान यंत्र का पूजा-विधि से पूजन हनुमानजी को स्मरण करके वीरता, साहस और संकटमोचन प्राप्ति का कारक माना जाता है। भक्तों की आस्था है कि यंत्र की पूजा से भाग्य में वृद्धि होती है एवं संकटों का नाश होता है।
हिन्दू परंपरा में हनुमानजी को संकटमोचन नाम से जाना जाता है; पंचमुखी स्वरूप विशेष रूप से बुरी शक्तियों और बाधाओं के निवारण हेतु पूज्य है। भक्त इसे अपने घर या मंदिर में स्थापित कर हनुमान मंत्र, हनुमान चालीसा आदि का जप करते हैं, जिससे आत्म-संयम एवं विश्वास बढ़ता है।
श्री पंचमुखी हनुमान को पाँचों दिशाओं का रक्षक माना जाता है, इसलिए यंत्र पूजन से जीवन में समग्र रक्षा और कल्याण की कामना की जाती है।
स्थापना विधि और पूजन विधि
पंचमुखी हनुमान यंत्र की स्थापना (प्राण प्रतिष्ठा) आमतौर पर मंगलवार या विशेष पूजायुग्म के शुभ मुहूर्त में वैदिक रीति से की जाती है। पवित्र स्नान के पश्चात यंत्र को पीपल के पत्ते पर रखकर घर के मंदिर या मंदिर में स्थापित करें। स्थापना के बाद नीचे दिए गए क्रम से पूजन करें
मंगलवार सुबह स्नानादि करके यंत्र को शुद्ध करें। यंत्र को पीपल के पत्ते पर या साफ कपड़े पर स्थापित करें (
- यंत्र के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं ।
- हनुमान मंत्र (उदाहरणस्वरूप “ॐ श्री हनुमते नमः” या श्री हनुमान चालीसा) का उच्चारण करते हुए 108 अक्षत (चावल) या लाल पुष्प चढ़ाएं
इन विधियों से यंत्र प्राण प्रतिष्ठित हो जाता है और पूजा के लिए तैयार हो जाता है ।
पूजन के दौरान धूप, अगरबत्ती, तुलसी, दूर्वा आदि अर्पित करें और विशेष रूप से मंगलवार को हनुमान की आराधना से यंत्र अधिक शक्ति प्राप्त करता है।
नियमित पूजा में ध्यान रखें कि यंत्र साफ हो और श्रद्धा से पूजन किया जाए।
लाभ एवं उपयोगिताएँ
पंचमुखी हनुमान यंत्र के अभ्युदय से अनेक आध्यात्मिक और व्यावहारिक लाभ प्राप्त होने की मान्यता है। इसके प्रमुख लाभ एवं समस्याएँ जिनके निवारण हेतु यह उपयोगी माना जाता है, इस प्रकार हैं:
- बाधा निवारण: जीवन में आने वाली बाधाएँ, घटनाएं अटकना या कार्यों में विघ्न होने पर यंत्र स्थापित करने से सकारात्मक बदलाव आता है। व्यापार, नौकरी या घर-परिवार में रुके काम बनने लगते हैं ।
- मांगलिक दोष निवारण: यंत्र धारण करने से ज्योतिषीय दृष्टि से मांगलिक ग्रह दोष (जैसे मंगल दोष) कम होने का विश्वास है, जिससे वैवाहिक जीवन में सौहार्द और सफलता आती है।
- आत्मविश्वास एवं सकारात्मक ऊर्जा: यंत्र से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इससे भय, निराशा एवं नकारात्मक विचार दूर होते हैं।
- मनोकामना पूर्णता एवं वित्तीय समाधान: यंत्र की कृपा से इच्छित फल की पूर्ति होती है; मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और कर्ज आदि से मुक्ति मिलती है । भक्तों का अनुभव है कि अटका हुआ धन, लंबित कार्य गति पकड़ते हैं।
- स्वास्थ्य एवं संकट से मुक्ति: यह यंत्र गंभीर बीमारियों या जीवन के बड़े संकटों से उबरने में सहायक माना जाता है। पूजन से शरीर-मन को प्रफुल्लित करने वाली शक्ति मिलती है और बड़ी समस्याओं से राहत मिलती है।
- रक्षा एवं समृद्धि: पारिवारिक सुख-शांति बढ़ती है, घर में खुशहाली आती है और धन-वैभव में वृद्धि होती है । भक्तों का मानना है कि पंचमुखी हनुमानजी बुरी नज़र और शत्रुओं से रक्षा करते हैं तथा जीवन को संजीवनी देते हैं।
इन लाभों के कारण यह यंत्र संकटमोचन औज़ार की भांति पूजनीय है और उसी प्रकार की समस्याओं के निवारण हेतु इसका उपयोग होता है।
श्री पंचमुखी हनुमान यंत्र: एक सम्पूर्ण और विस्तृत मार्गदर्शन
पंचमुखी हनुमानजी के पाँच मुखों का गहरा अर्थ
श्री पंचमुखी हनुमानजी के प्रत्येक मुख का विशिष्ट आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक महत्व है:
मुख | स्वरूप | दिशा | शक्ति और उद्देश्य |
पूर्व | हनुमान मुख | पूर्व दिशा | विजय, सफलता और पराक्रम का प्रतीक। |
दक्षिण | नरसिंह मुख | दक्षिण दिशा | भय नाशक, बुरी शक्तियों का संहार। |
पश्चिम | गरुड़ मुख | पश्चिम दिशा | विष, नाग दोष और बंधन से रक्षा। |
उत्तर | वराह मुख | उत्तर दिशा | धन-समृद्धि और स्वास्थ्य की रक्षा। |
ऊर्ध्व | हयग्रीव मुख | आकाश दिशा | ज्ञान, विवेक और आध्यात्मिक उन्नति। |
विशेष बात:
पंचमुखी स्वरूप में हनुमानजी समस्त दिशाओं से साधक की रक्षा करते हैं। इस कारण पंचमुखी हनुमान यंत्र को रक्षा कवच भी माना जाता है।
पंचमुखी हनुमान यंत्र का विशेष प्रभाव कब बढ़ता है?
- हनुमान जयंती: हनुमानजी के जन्मोत्सव के दिन पंचमुखी हनुमान यंत्र की स्थापना करने से विशेष फल मिलता है।
- महामंगलवार और शनिवार: यह दोनों दिन हनुमानजी के विशेष पूजन के लिए शुभ माने जाते हैं।
- ग्रह दोष निवारण काल: शनि, राहु, केतु आदि ग्रहों के दुष्प्रभावों को शांत करने हेतु पंचमुखी हनुमान यंत्र स्थापित करना अत्यंत प्रभावी माना गया है।
- कालसर्प दोष या पितृ दोष: इन दोषों के प्रभाव को कम करने में भी पंचमुखी हनुमान यंत्र सहायक माना जाता है।
पंचमुखी हनुमान यंत्र का सही स्थान और दिशा
- यंत्र को घर, दुकान या ऑफिस के पूजा स्थल पर पूर्वमुखी या दक्षिणमुखी स्थापित करें।
- इसे जमीन पर सीधे नहीं रखें; लाल या पीले कपड़े पर रखें।
- यदि आप इसे गले में लॉकेट स्वरूप में धारण करना चाहते हैं, तो शुभ मुहूर्त देखकर ही धारण करें।
पंचमुखी हनुमान यंत्र के साथ क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए?
- यंत्र को गंदे स्थान पर नहीं रखें।
- पूजन के समय साफ और शुद्ध वस्त्र पहनें।
- यंत्र की स्थापना के बाद अनादर न करें, जैसे उस पर गंदगी गिराना या बेइज्जती करना वर्जित है।
- नियमित रूप से दीपक और अगरबत्ती जलाकर पूजा करें।
- पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ पूजन करें; अधूरा या अनमना पूजन प्रभाव को कम कर सकता है।
पंचमुखी हनुमान यंत्र को किसे धारण/स्थापित करना चाहिए?
- जो व्यक्ति जीवन में अत्यधिक विघ्नों, दुर्घटनाओं, अदृश्य बाधाओं, भय, कोर्ट-कचहरी, शत्रु बाधा या व्यापार में नुकसान का सामना कर रहा हो।
- जिनकी कुंडली में मांगलिक दोष, शनि की साढ़े साती, कालसर्प दोष, राहु-केतु का प्रकोप हो।
- जो साधक आत्म-बल, साहस और मानसिक स्थिरता चाहते हैं।
- जो सुरक्षा कर्मी, वकील, डॉक्टर, राजनीतिज्ञ जैसे जोखिम भरे कार्यक्षेत्रों में हैं।
प्रसिद्ध स्थान जहाँ पंचमुखी हनुमान यंत्र की विशेष प्रतिष्ठा होती है:
- रामेश्वरम पंचमुखी हनुमान मंदिर, तमिलनाडु: यहाँ पंचमुखी हनुमानजी की प्रतिमा स्वयं सिद्ध मानी जाती है।
- हरिद्वार पंचमुखी हनुमान मंदिर, उत्तराखंड: यहाँ विशेष हनुमान चालीसा पाठ और यंत्र सिद्धि अनुष्ठान होते हैं।
- कराची पंचमुखी हनुमान मंदिर, पाकिस्तान: लगभग 1500 वर्ष प्राचीन पंचमुखी स्वरूप का मंदिर, हिन्दू सभ्यता का जीवंत प्रमाण है।
- मनसा देवी मंदिर, पंचकुला: यहाँ पंचमुखी हनुमान यंत्र से विशेष रूप से तांत्रिक बाधाओं के निवारण हेतु पूजा की जाती है।
श्री पंचमुखी हनुमान यंत्र न केवल एक साधारण पूजा उपकरण है, बल्कि यह एक दिव्य सुरक्षा कवच है जो साधक को चारों दिशाओं से रक्षा, मनोबल, स्वास्थ्य, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है। यदि श्रद्धा, विश्वास और विधिपूर्वक इसकी स्थापना और पूजन किया जाए, तो जीवन में अद्भुत चमत्कारी परिवर्तन संभव है।
अगर आप चाहें तो मैं आपको एक सुंदर पंचमुखी हनुमान यंत्र की फोटो भी भेज सकता हूँ जो आप पूजा के लिए संदर्भ में इस्तेमाल कर सकते हैं।
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